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Poplar tree ki kheti kaise kare
Poplar tree ki kheti kaise kare : कृषि वानिकी तकनीक अब तेजी से बढ़ रही है। उत्तर प्रदेश , हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के मैदानी भागों में यह तकनीक बहुत तेजी से किसानों में अपनी पैठ जमा रही है। इन इलाकों में पोपलर (Poplar) बहुत ज्यादा पोपुलर हो रहा है। राजस्थान के कुछ इलाकों में भी पोपलर (Poplar) की कतारों के बीच फसलें लहलहाती दिख जाती हैं या फिर फसलों के बीच सिर उठाते पोपलर के पेड़ (Poplar tree) फसल के प्रहरी बने खड़े नजर आते हैं। एग्रो फोरेस्ट्री के तहत यहां हम पोपलर की खेती के बारे में बता रहे हैं।
- पोपलर (Poplar Tree) जल्दी से बढ़ने वाला वह पेड़ है, जो किसानों को अच्छा मुनाफा देता है।
- पोपलर (Poplar Tree) जंगलों की कमी को पूरा करता है और लकड़ी उद्योग की मांग को भी पूरा करता है।
- भारत में पोपलर (Poplar Tree) साल 1950 में अमेरिका से लाया गया था।
- उत्तर भारत में पोपलर (Poplar Tree) बड़े पैमाने पर उगाया जाता है।
- पोपलर (Poplar Tree) पेड़ कार्बन डाईआक्साइड गैस को आबोहबा से सोख कर उसे लकड़ी और जैविक पदार्थ को तैयार करने में इस्तेमाल करता है।
पोपलर (Poplar Tree) के फायदेः
- तेजी से बढ़ने की वजह से पोपलर (Poplar Tree) 5 से 8 साल में 90 से सौ सेंटीमीटर मोटा हो कर तकरीबन 2 सौ घनमीटर प्रति हेक्टेयर लकड़ी तैयार करता है। इस के अलावा यह उन नर्सरियों के लिए वरदान साबित हुआ है, जिन में बीज से फूल या सब्जी वाली पौध तैयार की जाती है और जहां ज्यादा गरमी में पौध के झुलसने का खतरा बना रहता है। यह पेड़ ओले, तेज बूंदों और आंधी से होने वाले नुकसान से भी फसल को बचाता है।
- पोपलर (Poplar Tree) की 1 साल पुरानी पौध तकरीबन 3 से 5 मीटर लंबी हो जाती है, जो बाजार में 15 से 20 रुपए में आसानी से बेची जा सकती है। 1 पेड़ के लट्ठे या लकड़ी 8 सौ से 24 सौ रुपए तक में बिकती है। किसान 1 हेक्टेयर पोपलर से साढ़े 5 से 9 लाख रुपए की कमाई कर सकते हैं और दूसरी फसलों से कमाई कर सकते हैं।
- हरे चारे की कमी के समय पोपलर (Poplar Tree) की पत्तियां गाय-भैंसों को सूखे चारे के साथ दी जा सकती हैं। भेड़-बकरियों को आधा किलो पोपलर (Poplar Tree) रोजाना खिलान से खनिज प्रोटीन और विटामिन मिल जाते हैं।
पोपलुर की लकड़ी पैकिंग पेटी, कागज माचिस, खेल का सामान और फर्नीचर वगैरह बनाने में इस्तमाल होती है।
पोपलर (Poplar Tree) पौध और किस्मः
- उत्तर भारत को आबोहवा के लिए जी-3, जी-4बी, एल-34, एस-7, सी-15, उदय क्रांति और बहार पोपलर (Poplar Tree) की अच्छी किस्में हैं।
डी-61, डी-66, एस-7सी8, एस-7सी 15, एस-7सी 4, एस 7 सी सी 20 एल-49, एल-247, एल-154 और एल-143 ऐसी किस्में हैं, जो फसलों के बढ़ने और पैदावार पर कम असर डालती हैं। - किसान इन किस्मों को कृषि विश्वविद्यालय, वन विभाग या प्राइवेट नर्सरियों से खरीद कर लगा सकते हैं या अपनी नर्सरी भी तैयार कर सकते हैं।
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